Thursday, August 12, 2021

Duniya Jise Kehte Hain दुनिया जिसे कहते हैं by Nida Fazil निदा फ़ाज़ली.

 

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दुनिया जिसे कहते हैं by निदा फ़ाज़ली. 
Duniya Jise Kehte Hain by Nida Fazil 
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Elusively familiar. Especially one couplet that everyone, increasingly past awhile, quotes - 

Kabhie kisie ko mukammal jahaan nahin milataa, 
Kabhie Zameen to kabhie aasamaan nahin milataa!
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"बशीर बद्र के अलावा वे ही आखिरी प्रमुख शायर थे। अब आगे वाली पीढ़ी बौनों की है। अपने स्तर का एक बड़ा शायर चला गया, बड़ा अफ़सोस होता है यह सोचकर।"
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"मुँह की बात सुने हर कोई, दिल के दर्द को जाने कौन 
"आवाज़ों के बाज़ारों में ख़ामोशी पहचाने कौन 

"सदियों-सदियों वही तमाशा, रस्ता-रस्ता लम्बी खोज 
"लेकिन जब हम मिल जाते हैं खो जाता है जाने कौन 

"जाने क्या-क्या बोल रहा था सरहद, प्यार, किताबें, ख़ून 
"कल मेरी नींदों में छुपकर जाग रहा था जाने कौन 

"मैं उसकी परछाई हूँ या वो मेरा आईना है 
"मेरे ही घर में रहता है मेरे जैसा जाने कौन 

"किरन-किरन अलसाता सूरज, पलक-पलक खुलती नींदें 
"धीमे-धीमे बिखर रहा है ज़र्रा-ज़र्रा1 जाने कौन"
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"अपना ग़म ले के कहीं और न जाया जाये 
"घर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाये 

"जिन चिराग़ों को हवाओं का कोई ख़ौफ़ नहीं 
"उन चिराग़ों को हवाओं से बचाया जाये 

"क्या हुआ शहर को कुछ भी तो नज़र आये कहीं 
"यूँ किया जाये कभी ख़ुद को रुलाया जाये 

"बाग़ में जाने के आदाब हुआ करते हैं 
"किसी तितली को न फूलों से उड़ाया जाये 

"ख़ुदकुशी करने की हिम्मत नहीं होती सब में 
"और कुछ दिन अभी औरों को सताया जाये 

"घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें 
"किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाये"
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"वो एक ही चेहरा तो नहीं सारे जहाँ में 
"जो दूर है वो दिल से उतर क्यों नहीं जाता"
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August 12, 2021 - August 12,  2021.

दुनिया जिसे कहते हैं 

कॉपीराइट © 2016, निदा फ़ाज़ली 

ISBN 978-81-8322-736-0
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